🌱शाही उपहार (Shahi Uphar) 🌱

एक बार, एक गरीब ब्राह्मण राजा के पास गया और उससे बोला, “महाराज! रात को मैंने एक सपना देखा जिसमें आपको राजाओं के राजा का ताज पहनाया गया था।” यह सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उसने ब्राह्मण को एक हजार सोने के सिक्के दिए। ब्राह्मण ने वह शाही उपहार स्वीकार किया और खुशी-खुशी महल से घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में वह एक जंगल से होकर गुजर रहा था। वह सिक्के गिनने में लगा हुआ था कि तभी एक सिक्का गिर गया और झाड़ियों में लुढ़क गया। उसने बहुत देर तक उसको ढूंढा लेकिन वह सिक्का उसे नहीं मिला। जल्दी ही शाम होने को आ गयी। राजा सैर करते समय जंगल से गुज़रता था।
जब राजा यह खबर हुई कि वह ब्राह्मण सुबह से सिक्के को ढूंढ रहा है, तो राजा ने सोने के सिक्कों वाला थैला उसे ले लिया और कहने लगा, “तुमने अपना सारा समय सिर्फ एक सोने के सिक्के को ढूंढने में गंवा दिया। तुम्हारे जैसा लालची इंसान के लायक नहीं है।” लेकिन वह ब्राह्मण चतुर था, वह कहने लगा, “महाराज, मैं सिक्के को इसलिए ढूंढ रहा था कि इस शाही उपहार पर किसी का पांव न पड़ जाए।” इस समझदारी भरे जवाब को सुनकर राजा बहुत खुश हुआ और उसने वह सिक्कों का थैला उसे वापस लौटा दिया।
शिक्षाः नुकसान के समय अपनी बुद्धि से काम लें तो बिगड़े काम भी ठीक हो सकते हैं

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